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Kajari Teej 2023 Ki Puja Vidhi | Kajari Teej Katha | कजरी तीज की पूजा विधि और कथा

Kajari Teej 2023 Ki Puja Vidhi | Kajari Teej Katha | कजरी तीज की पूजा विधि और कथा

Kajari Teej 2023 Ki Puja Vidhi | Kajari Teej Katha : कजरी तीज, जिसे कजली तीज भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है और इसमें विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की कृपा के लिए व्रत रखती हैं। इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा कथा और पूजा विधि होती है, जिन्हें हम इस लेख में विस्तार से जानेंगे।

कजरी तीज की महत्वपूर्ण कहानी | Kajari Teej Ki Kahani 

एक समय की बात है, एक गांव में एक सुंदर सी कन्या नामक परीक्षा रही थी, जिसका नाम कजरी था। उसकी खुबसूरती और साहस ने उसके गांव के सभी लोगों को मोहित किया था। वह एक साहूकार की बेटी थी और एक साहूकार के बेटे नामक सुनील से प्यार करती थी। दोनों ने एक-दूसरे के साथ अपनी जिंदगी की सारी ख्वाहिशों को साझा किया था।

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एक दिन, सुनील को अपने व्यवसाय में बढ़ोतरी की आवश्यकता हो गई, लेकिन उसके पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। वह बहुत चिंतित और उदास हो गया। कजरी ने उसकी चिंता को देख लिया और उसने अपने व्रत का आदान-प्रदान करने का निर्णय लिया।

कजरी ने संगीत और नृत्य के साथ अपने व्रत की पूजा की और भगवान शिव-पार्वती से उनके प्रेम की प्राप्ति की। उन्होंने उन्हें अपने दिल की बात कही और वह भगवान शिव-पार्वती के आशीर्वाद से सुनील को अपने व्यवसाय में सफलता मिली।

कजरी तीज की पूजा विधि | Kajari Teej Ki Puja Vidhi 

कजरी तीज का व्रत विशेष आत्म-दिस्प्लिन की आवश्यकता को समझने का एक अच्छा तरीका है। व्रत की प्रारंभिक तिथि से ही व्रतार्थियों को नियमित रूप से समय पर उठने और स्नान करने की परंपरा होती है। उन्हें खाने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।

व्रत की पूजा विधि

उद्घाटन: पहले दिन कजरी तीज के व्रत की शुरुआत उद्घाटन से होती है। व्रतार्थी उद्घाटन में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करते हैं। उन्हें गंगा जल से निर्मित कलश, सुपारी, बीलपत्र, रोली, अक्षत, धूप, दीप आदि की आवश्यकता होती है।

नियमित पूजा: व्रत के दिन व्रतार्थी को नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। प्रातःकाल में वे स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं और भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियों को साफ करते हैं। उन्हें पूजा के लिए स्थान तैयार करना चाहिए जिसमें वे व्रत संबंधित सामग्री रख सकें।

पूजा की सामग्री: पूजा के लिए व्रतार्थी को बेलपत्र, सुपारी, नारियल, अक्षत, धूप, दीप, फूल, पुष्प, रोली, चावल, मिठाई आदि की आवश्यकता होती है। यह सामग्री पूजा के दौरान उपयोग की जाती है।

कथा कथन: पूजा के दौरान व्रतार्थी कथा कथन करते हैं, जिसमें कजरी तीज की कहानी को सुनाया जाता है। कथा कथन से व्रतार्थी भगवान की कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

व्रत कथा के बाद की पूजा: कथा कथन के बाद, व्रतार्थी फिर से भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियों की पूजा करते हैं। उन्हें फूल, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप आदि से पूजा करनी चाहिए और उनका आराधन करना चाहिए।

पारणा: व्रत के दिन व्रतार्थी को एक ही बार खाना खाने की अनुमति होती है, जिसे ‘पारणा’ कहते हैं। वे भगवान के आशीर्वाद के साथ भोजन करते हैं और व्रत को समाप्त करते हैं।…Kajari Teej Ki

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